Sandalwood (Chandan) Nursery & Plantation Sandalwood (Chandan) saplings & Seeds, Medicinal Plant, & other Valuable Tree Plantations and Guidance for Project Feasibility, Govt.
to answer, sandal wood and its products … As per recent research, “The global demand for sandalwood is estimated to be 5,000 to 6,000 tonnes”. Australian sandalwood does produce a lower oil content when compared to Indian sandalwood although it consistently produces the oil forming heartwood from a young age. INTEGRATED PEST MANAGEMENT STRATEGIES (IPM)
Another native species (S. lanceolatum) grows in Queensland but little is known about its status as a commercial enterprise. Today, let us take a class of Mushroom Training Centers in India.
the plantation industry Industry and governments have responded to this decline by developing plantation production systems for both the Western Australian and Indian sandalwood species. The following information is about Grape Farming Project Report and Cultivation Practices. Project Reports. Cultivation of sandal in India is less attempted though the potential is high. A commercial Indian sandalwood plantation has been established in the Ord region of Western Australia and plantings are proposed for the tropical north of the Northern Territory and Queensland. Sandalwood is often cited as one of the most expensive woods in the world. But he could not save his plantation due to the severe drought that hit the region in between 2002 and 2005. INTRODUCTION TO COLD STORAGE PROJECT
Commercial Banks are also offering loans for farmers. ), Kag Market, Infornt of SBI, Maheshwar Road Barwaha, Dist: Khargone - 451115 (M.P.). Pragmatic loosening of state clamps encourages commercial plantation, but much remains. For Seedlings and Plantation guidance in Eastern India, Contact 8249857632 / … Polyhouse Production Introduction:- Polyhouse Production practices could be characterized as a farming process wherein the microclimatic... Mushroom Training Centers in India
Sandalwood is highly valued for its aromatic scent, which is used in incense and perfume. If you are confused where to buy sandalwood plant, feel free to CONTACT US! Subsidy, Bank Finance SANDAL WOOD PLANTATION AS A HORTICULTURE CROP We use sandalwood oil to reduce tension and stress because of its chemical properties. It is the epitome of excellence, imparting fragrance even to the ace that cuts it. Apart from this, it has religious importance in India. Growing Sandalwood is legal, its not like Marijuana. Osmanabadi Goat Distribution:- This breed is mainly spread in Latur, Osmanabad, Ahamednagar, Parbhani, and Solanpur district... A step by step guide to Tilapia fish feed formulation
Have you ever thought about why we should plant sandalwood? Today, we discuss the most profitable crops in India, high-profit cash... Introduction of Drumstick Farming Project Report:
If you are looking to grow it on a large scale, contact Government of Andhra Pradesh, they are giving good subsidy for growing Sandalwood. The State Horticulture Department would maintain the registry of farmers growing the sandalwood gardens in the State. The drumstick... Government Schemes for Goat Farming In India:
You can directly contact these banks for more current subsidy or loan information. Subsidy For Sandalwood Cultivation. Industrial Forestry : SANDAL WOOD . Subsidy, Bank Finance SANDAL WOOD PLANTATION AS A HORTICULTURE CROP INTRODUCTION : The question arrises why should we plant sandalwood? per Kg. Let us get into details of Borewell Drilling Cost... Polyhouse Subsidy, Cost, Profit, and Project Report
Detailed Project Reports cover all the aspects of Sandalwood Plantation business, from analyzing the Sandalwood market, confirming availability of various necessities such as planting materials to forecasting the financial requirements, Govt Subsidy. Everybody likes to raise fish and it is fun and... A guide for Nutrition Management, Dairy Animal Feed
The benefits of the crop to a producer are stupendous. Mushrooms are a type of fungi, which are consumed as food. There are many banks including NABARD are financing for commercial cultivation of sandalwood projects. Today, let us discuss Government Schemes For Goat Farming Loan, Subsidy in India... Gir Cow Milk Per Day, Breed Profile And Characteristics:
If you are Interested for sandalwood cultivation in your land, Tirupati nursery has a grand sandalwood nursery, visit here to know the overall process of its cultivation. As per Tamil Nadu Sandalwood possession Rules 1970 Rule 3(1), no person shall possess sandalwood in excess of five kilograms without a licence issued by District Forest Officer. We will provide you with the proper information, modern technology and sandalwood plantation project report in PDF. Don't worry much about sandalwood plants where to buy it, Tirupati Greenhouse Sandalwood Nursery from Madhya Pradesh has 19+ years experience in sandalwood plant cultivation. Vill: Sirlay, Teh: Barwaha, Dist: Khargone - 451115 (M.P. Sandalwood (Chandan) saplings & Seeds, Medicinal Plant, & other Valuable Tree Plantations and Guidance for Project Feasibility, Govt. Once established, sandalwood is a sensuous and potentially profitable tree to grow. चंदन के पौधो का अनुपम संग्रह,तिरुपति नर्सरी लाये है सफ़ेद चंदन की आधुनिक कृषि पद्धति , मध्य भारत का एक ऐसा स्थान जहा पर आप पायेगे स्वस्थ चंदन पौधो का विशाल भंडार, यह एक सामान्य वृक्ष है ,इसकी पत्तिया लम्बी होती है व शाखाए लटकती हुई होती है | इस पौधे की जड़े एक होस्टोरिया के सहारे दुसरे पौधो की जड़ो से जुड़ कर भोजन, पानी व खनिज लेती है | चंदन के पर पोषको में नीम ,अमलतास,केजुरिना आदि पेड़ो की जड़े मुख्य है | चंदन के साथ में अरहर की खेती हो सकती है ,चंदन का दूसरी फसलो पर कोई नकारात्मक असर नही पड़ता है |, चंदन मूल रूप से भारत मे पाया जाने वाला पौधा है ,इसका उत्त्पत्ति स्थान भारत ही है | भारत के शुष्क क्षेत्र में विन्ध्य पर्वत माला से लेकर दक्षिणी क्षेत्र कर्णाटक व तमिलनाडु में पाया जाता है | गुजरात ,मध्य प्रदेश ,महाराष्ट्र,राजस्थान आदि राज्यों की जमीने चंदन के लिए उपयुक्त मानी जाती है | भारत के अलावा यह ऑस्ट्रेलिया , मलेशिया ,इंडोनेशिया आदि देशो में पाया जाता है |, भारतीय चंदन का संसार में सर्वोच्च स्थान है ,चंदन को अंग्रेजी में sandalwood ( santalum album ) कहते है | यह पेड़ मुखतः कर्नाटक के जंगलो पाया जाता है | महाराष्ट्र, गुजरात एवं मध्यप्रदेश की जमींन चंदन की खेती के लिए बहुत उपयुक्त साबित होती है सफ़ेद चंदन की खेती किसानो के लिए कामधेनु साबित हो रही है | इसकी खाश तरह की खुशबू और इसके ओषधिय गुणों के कारण भी इसकी पूरी दुनिया में भारी डिमांड है |, रामायण , महाभारत, वेद,पुराण,आदि धर्मो ग्रंथो में चंदन का उल्लेख है, चरक मुनि आदि संतो ने चंदन को औषधी के रूप में उल्लेख किया है | भारत का चंदन दुनिया भर में उत्तम कहा जाता है | भारत में उत्पादित होने वाले चंदन की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बड़ी माँग है | सामान्यतः चंदन की हार्डवुड का मूल्य 6000 से 12000 रुपए प्रति किलो होता है और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसका मूल्य 25000 रुपए तक है | हमारे देश में चंदन की चोरी करने वाले चोरो ने चंदन के जंगलो को काट के समाप्त कर दिया है, इस कारण भारत सरकार और राज्य सरकारों में चंदन पर से नियंत्रण हटा दिया है | चंदन लगाने के पश्चात किसान पटवारी के समक्ष अपनी पावती पर रिकॉर्ड करवा ले , चंदन कटाई के समय सक्षम अधिकारी से कटाई की अनुमति लेकर किसान अपने चंदन को बेच सकता है |, धार्मिक तौर पर देखा जाये तो जब हम चंदन को अर्पण करते है तो उसका भाव यह है की हमारा जीवन ईश्वर की कृपा से सुगंध से भर जाये तथा हमारा व्यव्हार शीतल रहे, चंदन का तिलक ललाट पर या छोटी सी बिंदी के रूप में दोनों भोहो के मध्य लगाया जाता है, जो शितलता देता है | हिन्दू धर्म में चंदन का तिलक शुभ माना जाता है और माना जाता है की चंदन का तिलक लगाने से मनुष्य के पापो का नाश होता है तथा हम कई तरह के संकटो से बच जाते है | पुरानो में कहा जाता है की तुलशी और चंदन की माला से विष्णु भगवन मंत्र का जाप करना चाहिये | गणेश की उत्पति पार्वती द्वारा चंदन के मिश्रण से हुई है | चंदन के वृक्ष में साप लिपटे होने के बावजूद इसमे जहर नहीं होता है जैसा की रहीम जी ने अपने दोहे में कहा है |, जो रहीम उत्तम प्रकति का करी सकत कुसंग चंदन विष व्याप्त नहीं लिपटे रहत भुजंग |, कविबर रहीम कहते है की जो उत्तम स्वाभाव और द्रढ़ चरित्र वाले व्यक्ति होते है, बुरी संगती भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती | जिस प्रकार चंदन के वृक्ष से लिपटे विशेले सर्प भी अपना प्रभाव उस पर नहीं छोड़ पाते |, चंदन की लकड़ी ,बीज, जड़े सभी का औषधीय महत्व है Iआयुर्वेद के चिकित्षा ग्रंथो में इसे लघु रुक्ष तथा शरीर के अमाशय आत एव यकृत के लिए वल्य बताया गया है यूनानी चिकितसा में चंदन दस्त, अतिसार, चिडचिडापन एवं मानशिक रोगों में अत्यंत प्रभाव कारी ओषधि है | चंदन की लकड़ी एक सुंगंधित और प्राकृतिक लकड़ी होती है जिसका उपयोग उपचार हेतु आयुर्वेद में सदियों से हो रहा है Iप्राचीन काल से ही चंदन का उपयोग सुन्दरता बढाने के लिए होता आ रहा है | चंदन का पाउडर न केवल चेहरे को मुलायम व चमकदार बनाता है बल्कि इसके इस्तेमाल से त्वचा सम्बन्धी समस्याओ का समाधान भी होता है |, चंदन के टीके को माथे के बिच में लगाने से मस्तक को शांति, ठंडक और ताजगी मिलती है, जिससे मस्तिष्क सम्बन्धी समस्या नहीं होती है और एकाग्रता भी बढती है | चंदन के औषधीय गुण सिरदर्द से भी छुटकारा दिलाते है , इसका तेल मस्तिष्क के सेल्स को उत्तेजित करता है, जिसके करण दिमाग और याददास्त तेज हो जाती है | चंदन के तेल का दवाओ के अलावा धुप बत्ती, अगरबत्ती, साबुन, परफ्यूम आदि के निर्माण में प्रयोग हो रहा है |, चंदन में कीटाणुनाशक़ गुण होते है ,शरीर के किसी भी हिस्से में होने वाली खुजली व उससे पड़ने वाले लाल निशान को हटाने में कारगर है | चंदन का हल्दी और नींबू के रस के साथ पेस्ट बना कर लगाने से इस तकलीफ से छुटकारा मिलता है | चंदन को चाहे पाउडर के रूप में या फिर किसी भी रूप में चंदन के फायदे जिंदगी को इसकी खुशबू की तरह भर देता है |, अगर आपके बाल रूखे और कमजोर हो रहे हो तो चंदन के पावडर का लेप बना कर इसे सप्ताह में दो बार लगाया करे और आधे घंटे बाद धो लिया करे ऐसा करने से आपके बाल ना केवल मजबूत होंगे बल्कि घने और सुन्दर भी होंगे | चंदन के तेल से मालिश करने से मांसपेशियों की एठन दूर हो जाती है और हाइपरटेंशन , हाई ब्लड प्रेशर में भी चंदन का प्रयोग लाभ दायक साबित हो रहा है | इसकी कुछ बूँद दूध में डाल कर रोज पिने से ब्लड प्रेशर संतुलित हो जाता है|, अंतराष्ट्रिय बाजार में बढती मांग और सोने जेसे बहुमूल्य समझे जाने वाले चंदन की उंची कीमत होने के कारण वर्तमान में चंदन की खेती करना आर्थिक रूप से लाभप्रद है | अन्य देशो की तुलना में भारत में पाए जाने वाले चंदन में खुशबू और तेल का अनुपात 1 से 6% तक अधिक होता है | भारत में चंदन की लकड़ी (हार्ड वुड) की कीमत लगभग 6000 से 12000 रूपए प्रति किलो है | एक चंदन के पेड़ से 12 से 20 किलो लकड़ी (हार्ड वुड) प्राप्त होती है साथ ही हार्डवुड के उपर जो सेफवुड होती है वह हमें एक पेड़ से 20 से 40 किलो मिलती है, जिसका बाजार मूल्य 600 से 800 रुपए किलो होता है और साथ ही बार्क वुड जो पेड़ की लकड़ी की उपरी परत होती है वह हमें 30 से 60 किलो मिलती है जिसका मूल्य 50 रुपए प्रति किलो होता है | इस प्रकार एक एकड़ में चंदन के पौधों की संख्या 250 से 300 होती है | पौधे की परिपक्वता आयु 12 से 15 वर्ष होती है | इस प्रकार हम आकलन कर सकते है की हमारे किसान भाई प्रति पौधा या प्रत्रि एकड़ चंदन की खेती से कितना मुनाफा कमा सकते है |, चंदन की खेती के लिए मध्यम वर्षा और भरपूर मात्रा में धुप मिलना चाहिये | मध्यप्रदेश,राजस्थान ,गुजरात ,महाराष्ट्र ,छत्तीसगढ़ का मौसम इसकी खेती के लिए अत्यंत ही उचित है | यह 5 से 50 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान के प्रति भी सहनशील पेड़ है | 7 से 8.50 Ph मान तक की भूमियो में इसे उगाया जा सकता है | खनिज एवं नमी युक्त भूमियो में इसका विकास कम होता है , किसी भी प्रकार के जल जमाव को यह वृक्ष सहन नहीं करता है , इसे दलदली भूमि पर नहीं उगाया जा सकता |, चंदन में सिर्फ दो प्रकार की किस्मे होती है लाल चंदन एव सफ़ेद चंदन | इसे अलग-अलग राज्यो में अलग-अलग नामो से जाना जाता है | यहाँ पर हम अभी केवल सफ़ेद चंदन कि ही बात कर रहे है |, चंदन मुख्य रूप से काली ,लाल दोमट मिट्टी , रूपांतरित चट्टानों में उगता है | 7 से 8.50 Ph मान की मिट्टी में यह उगाया जा सकता है | जिस भूमि में चंदन लगाया जाए वहा जल निकास का उचित प्रबंधन होना चाहिये | चंदन का पौधा जल जमाव व जल भराव को सहन नहीं करता इसे दलदली भूमि पर नहीं उगाया जा सकता |, चंदन का पौधा लगाने के लिए लगभग दुरी 12*15 रखना उचित माना जाता है| इसमें पौधे से पौधे की दुरी 12 फीट और क्यारी से क्यारी की दुरी 15 फीट रहेगी | चंदन का पौधा लगाते समय होस्ट प्लांट दो चंदन के पौधो के मध्य लगाना चाहिये | हर पौधे के साथ होस्ट ( जजमान ) पौधा अनिवार्य लगाये |, चंदन की खेती के लिए पहले खेत की अच्छी से गहरी जुताई करे उसे दो या तीन बार पलटी हल से मिट्टी को अच्छे से पलटवार करे फिर उसमे रोटावेटर चलाकर जमींन को समतल बना ले, फिर 12 x 15 फीट की दुरी पर पौधा लगाने के लिए जगह को चिन्हित करे, इसमें पौधे से पौधे की दुरी 12 फीट और क्यारी से क्यारी की दुरी 15 फीट रहेगी | तत्पश्चात उसमे 2*2 फिट का गडडा बनाकर उसे 15 से 20 रोज सुकने दे जिससे उस गड्डे में कुछ हानिकारक किट जो पोधे को नुकसान पंहुचाते है वह समाप्त हो जायेगे जिससे पोधे को कोई नुकसान नहीं होगा | गड्डो में कम्पोस्ट खाद व रेती को मिक्स कर के डालना चाहिये , जहा पर पहले से तीली भूमि है वहा रेत डालने की आवश्यकता नही है |, चंदन एक परजीवी / परपोषित पौधा है यह स्वयं अपना भोजन नही बनाता बल्कि किसी अन्य पौधे की जड़ो से अपनी जड़ो द्वारा रस व पोषण लेता है, जिस पौधे से वह पोषण लेता है उसे होस्ट कहते है | इसी करण चंदन को होस्टेरिया प्लांट भी कहते है | होस्ट प्लांट अनिवार्य है अन्यथा चंदन के पौधे का विकास नही होगा | होस्ट प्लांट के रूप में नीम ,केजुरिना ,अमलतास ,सिताफल ,अमरुद ,आदि पौधे महत्वपूर्ण है |, चंदन के पोधे को ज्यादा पानी की जरुरत नहीं होती है परन्तु शुरूवाती दिनों में वृक्षों की वृद्धि के लिए पानी की जरुरत होती है, मानसून में वृक्ष तेजी से बड़ते है परन्तु गर्मियों में सिचाई की जरुरत होती है | इसकी खेती करने के लिए ड्रिप से सिचाई करना उचित रहता है, ड्रिप विधि से फायदा यह होता है की हम जब चाहे पानी दे सकते है व फर्टिगेशन (खाद) देने में भी आसानी रहती है |, चंदन के पौधे वर्ष में हम कभी भी लगा सकते है | जून-जुलाई का समय ज्यादा उपयुक्त होता है | पौधा लगाने के बाद सिचाई अत्यंत जरुरी है ,पौधा अगर सुबह या शाम के समय लगाए तो ज्यादा अच्छा होगा |, पौधा लगाते समय ध्यान रखे की पौधा 1 फिट से उपर होना चाहिये, पौधे को गड्डा करके ही लगाये, जिस जगह जमींन में पानी भराता हो उस जगह पर पौधे न लगाये,पौधे को लगाते समय ध्यान रखे की उस पौधे की पोली बैग को ब्लेड से काटकर निकाले और फिर लगाये और पौधा लगाने के साथ ही होस्ट लगाना अनिवार्य है नहीं तो हमारा पौधा मर जाएगा |, चंदन के बीच में हम अन्य फसल ले सकते है जिसे हम इंटरक्रॉप कहते है I इंटरक्रॉप के रूप में हम विभिन्न प्रकार की सब्जियो की खेती ,फूलो की खेती ,गेहू ,चना,सोयाबीन ,इत्यादि खेतिया कर सकते है| इंटरक्रॉप की फसलो का चंदन पर कोई नकारात्मक प्रभाव नही होता और चंदन का भी उन फसलो पर कोई नकारात्मक प्रभाव नही होता |, पौधे लगाने के बाद इसमें फंगीसाईट और भोडले की दवाई की ड्रिंन्चिंग करे और शुरुवाती दिनो में हर सप्ताह इसमें क्लोरोपायरीफाश या coc का स्प्रे करते रहना चाहिये और साथ में ह्यूमिक भी ले लिया करे जिससे पौधे की ग्रोथ भी बढती जायेगी और पौधा मरेगा नहीं स्वस्थ रहेगा |, चंदन के बीच में हम अन्य फसल ले सकते है जिसे हम इंटरक्रॉप कहते है | इंटरक्रॉप के रूप में हम विभिन्न प्रकार की सब्जियो की खेती ,फूलो की खेती ,गेहू ,चना,सोयाबीन ,इत्यादि खेतिया कर सकते है| इंटरक्रॉप की फसलो का चंदन पर कोई नकारात्मक प्रभाव नही होता और चंदन का भी उन फसलो पर कोई नकारात्मक प्रभाव नही होता |, अगर दो स्टेम हो तो एक को काट देना चाहिए जिससे पौधे सीधे चले और स्टेम मोटा होता है और हार्ड वुड अधिक बनता है । कटाई के बाद पौधो में बोडो पेस्ट के साथ M45 का घोल बनाकर कटे हुए भाग पर लगाना चाहिये इससे पौधो में फंगस नही होती |, चंदन में साल में दो बार बीज आते है ,प्रथम सितम्बर से दिसम्बर तक , द्वितीय मार्च अप्रैल में कई बार ऐसा देखने में आता है की एक ही बार सितम्बर से दिसम्बर में ही बीज आता है | यह कोई चिंता का विषय नही है| चंदन में बीज 3 वर्ष की आयु की बाद ही आता है |, चंदन की खेती करने के लिए वैसे तो ज्यादा फ़र्टिलाइज़र की आवश्यकता नही होती परन्तु चंदन लगाने से पहले व बाद में नियमित रूप से गोबर की खाद, नीम खली, कार्बनिक एवं जेविक खाद डालते रहना चाहिये जिससे की अच्छी बढवार हो I इसमें रासायनिक खादों का कम से कम उपयोग करे और हर वर्ष नियमित रूप से जैव उर्वरक़ डालते रहे ,जिससे पौधा स्वस्थ रहे और अच्छी ग्रोथ करता रहे ।, चंदन की खेती करने में , पहले साल में सबसे अधिक देखभाल की आवश्कता होती है । पहले साल में चंदन के पौधे पर रोगो का अटेक नही होने देना चाहिए । चंदन के पौधे में सबसे ज्यादा फंगस की बीमारी का असर होता हैं इसलिए चंदन को लगाने से लेकर तीन साल तक उसमें फंगीसाइड का स्प्रे करते रहना चाहिए। फंगीसाइड में आप बावस्टिंन ,सीओसी , थाईफेनेट ,मिथाईल आदि फंगी साइड दवाईयों का स्प्रे करते रहना चाहिए।, यह चंदन की लकड़ी को खाने वाला एक कीड़ा होता हैं जिसे वुड बोरर कहते हैं इसकी रोकथाम के लिए क्लोराफाइरीफास दवाई की ड्रिचिंग व गेरू के साथ लेप कर देना चाहिए जिससे कीड़ा तने के उपर न चढ़ सके और पौधे को नुकसान न पहुचाये । अगर कही पौधे में वुड बोरर दिखे तो क्लोरोपायरिफास का इंजेक्शन और लैप लगाना चाहिये |, दीमक ऐसा कीड़ा है जो शुरुआत में जड़ो से उपर की ओर जाती है बाद में बार्क को खा जाती हैं। इसलिए पहले से ही जिस मिट्टी में ज्यादा दीमक हो तो बोडोपेस्ट के साथ क्लोरोपायरीफास मिक्स करके बार-बार लगाये|, मिलिबग बीमारी भी चंदनके लिए बहुत हानिकारक साबित होती है ,उसकी रोकथाम के लिए डेन्टासु दवाई का स्प्रे या ड्रिंन्चिंग करते रहना चाहिए फिर स्टम्प में नीचे की ओर टेपिंग लपेट देना चाहिए।, हार्डवुड चंदन का वह भाग है जिसमे सुगंध और तेल की मात्रा होती है,यह चंदन का सबसे महत्वपूर्ण व किमती हिस्सा है | चंदन का हार्डवुड बनने एवं विकास के लिए चंदन के पौधे को 5 साल के बाद कम से कम पानी देना चाहिए। चंदन के पौधे को सर्दियों के मौसम में बिल्कुल भी पानी नही देना चाहिए सिर्फ फरवरी से जून तक ही देना चाहिए और 10 से 15 साल बाद पानी बंद कर देना चाहिए सिर्फ बरसात में जो भी पानी मिल जाए वह उसके लिए उपयुक्त होता हैं। पानी नहीं देने से चंदन का पौधा नहीं मरेगा क्योंकि जमीन के अंदर आर्द्रता होती हैं ,जितनी पानी की कमी होगी उतना हार्डवुड अच्छा बनेगा। हार्ड वुड में ही चंदन के तेल की मात्रा होती है जिसका मूल्य 3 से 4 लाख प्रति लीटर होता है | सामान्यतः 12 से 15 वर्ष की आयु में चंदन का पौधा परिपक्व हो जाता है |, चंदन के पौधे में हार्डवूड बना है या नहीं उसे देखने के लिए हार्डवूड टेस्टिंग मशीन का उपयोग करना चाहिए। कभी भी हार्डवूड की जाँच ड्रिल मशीन से नही करे, इससे पेड़ को नुकसान होता हैं। हार्डवूड देखने के लिए एक राड होती हैं जिसे हाथ के द्वारा घुमाया जाता हैं और स्टेम में छेद कर देखा जाता हैं, इसमें कितना हार्डवूड बना हैं। हार्डवूड देखने के बाद छेद या उस जगह को मिटटी से लेपन कर दे जिससे उसमें कोई फंगस या बीमारी का प्रकोप न हों।, चंदन की रसदार लकड़ी (हार्ड वुड ) और सुखी लकड़ी दोनो का मूल्यांकन अलग-अलग होता है। जड़े भी सुंगधित होती है इसलिए चंदन के वृक्ष को जड़ से उखाड़ा जाता है न की काटा जाता हैं । जब पौधा लगभग 15 साल पुराना हो जाता है तब लकड़ी प्राप्त होती है जड़ से उखाडने के बाद पेड को टुकड़ो में काटा जाता है और डीपो में रसदार लकड़ी जिसे हार्ड वुड कह्ते है और सेफ वुड व बार्क वुड तीनो को अलग अलग किया जाता है |, चंदन का पेड़ धीरे धीरे बढ़ने वाला पौधा होता है लेकिन समुचित सिंचाई व्यवस्था या खाद प्रबंधन का समय समय पर ध्यान रखे तो यह 12 से 15 साल में तैयार हो जाता है | भारत में चंदन की लकड़ी (हार्ड वुड ) की कीमत लगभग 6000 से 12000 रूपए प्रति किलो है | एक चंदन के पेड़ से 12 से 20 किलो लकड़ी प्राप्त होती है, साथ ही हार्डवुड के उपर जो सेफवुड होती है वह हमें एक पेड़ से 20 से 40 किलो मिलती है,जिसका बाजार मूल्य 600 से 800 रुपए किलो होता है ,और साथ ही बार्क वुड जो पेड़ की लकड़ी की उपरी परत होती है, वह हमें 30 से 60 किलो मिलती है , जिसका मूल्य 50 रुपए किलो होती है | एक एकड़ में चंदन के पौधों की संख्या 250 से 300 होती है | पौधे की परिपक्वता आयु 12 से 15 वर्ष होती है Iइस प्रकार हम आकलन कर सकते है की हमारे किसान भाई प्रति पौधा या प्रत्रि एकड़ चंदन की खेती से कितना मुनाफा कमा सकते है|, चंदन के अलावा हमने जो होस्ट प्लांट लगाया था उसकी कीमत अलग से है तथा उसमे की जाने वाली इंटर क्रॉप से मिलने वाला फायदा हमारा बोनस है |, चंदन को बड़ी बड़ी कंपनिया जहा पर चंदन के प्रोडक्ट जैसे साबुन, तेल, परफयूम, अगरबत्ती, आदि निर्माण होते है उनके द्वारा खरीदा जाता हैं जैसे डाबर, के.एस.डी.एल,कंपनी बैंगलोर आदि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में यह निर्यात भी किया जाता है जिसकी बहुत अधिक माँग बनी हुई है|, चंदन का पौधा बहुत ही लाभकारी व उपयोगी होता हैं। इसका धार्मिक,औषधीय आदि कार्यो के साथ आर्थिक महत्व भी है | चंदन की खेती कर काफी किसानों ने मुनाफा कमाया है, चंदन की खेती करने के लिए ज्यादा खर्च की आवष्यकता नहीं होती हैं क्योंकि यह जंगली पौधा होता है जैसे जंगलो में बिना पानी, खाद के वृक्ष जीवित रहते हैं उसी प्रकार चंदन भी बिना खाद दवाई के रह सकता है। आज के युग में चंदन की खेती करके किसान भाई इस खेती से लाखो रूपये कमा सकते हैं, किसान भाईयों का कहना हैं कि इसकी खेती करने के 15 साल बाद अच्छी इनकम की उम्मीद रहती हैं।और भारतीय चंदन की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बहुत मांग है अतः चंदन की खेती हमारे देश में आर्थिक कामधेनु साबित हो रही है |.
Sandalwood Farming Project Report, Cost and Profit: The following content is about Cultivation Practices of Sandalwood and Sandalwood Farming Project Report in 1 acre land. Sandalwood is mentioned in one of the oldest pieces of Indian literature, the Ramayana (around 2,000 B.C.). Australian plantation sandalwood has been tried and tested in plantations throughout Western Australia for over 25 years by both private and Government organisations. SUBSIDY AND LOANS Many Banks including NABARD are financing for commercial cultivation. In Bombay the chief sandal region lies in the Dharwar and N. Kahara district along Mysore border. Sandalwood oil is extracted from the woods for use. Credit linked back-ended subsidy @ 20% of the total project cost limited to Rs 25 lakh per project in general area and Rs 30.00 lakh in NE Region, Hilly and Scheduled areas.
But harvesting it requires a lot many legal approvals. Growing Aloe Vera In Containers:
Sandalwood is a part of Indian culture and heritage. To grow it will depend on a base nursery plant. Introduction to Polyhouse... Tractor Subsidy, Loan, Eligibility, Schemes, Application Process in India.
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